बचपन की कहानी का रंगा सियार आज मैंने अनुभूत किया । आजकल वह सत्ता के सिंहासन पर आसीन है और हरेक विरोधी को गिदड़ भभकी दे रहा है , और इसके साथ ही अपने आका के आगे नाच रहा है। वह शीघ्रता से मौत का तांडव करने शहर शहर यार मार करने आ रहा है , मेरा दिल बैठा जा रहा है। रंगा सियार अराजकता के दौर में रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करना चाहता है। पर कोई विरला ही उसकी पकड़ में आता है। वह हर किसी से मिलना चाहता है, वह अपने रंगे जाने का दोष हर ऐरे गैरे नत्थू खैरे के सिर मढ़ना चाहता है। ११/०५/२०२५.