परीक्षा सिर पर हो , अधूरी रह जाए तैयारी यह स्वाभाविक है कि अक्ल जाती मारी। ऐसी नौबत क्यों आई ? इस बाबत भी कभी सोच मेरे भाई। आदमी में एक अवगुण है टाल मटोल करने का। यही अवगुण यथा समय परिश्रम करने से रोकता है और परीक्षा सिर पर आने पर विचलित कर देता है। आत्मविश्वास को तोड़ भीतर पछतावा भरता है। अब क्या हो सकता है ? अच्छा रहेगा टाल मटोल की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए। समय रहते अपनी ऊर्जा और शक्ति परीक्षा को ध्यान में रखकर केन्द्रित की जाए। हड़बड़ी और गड़बड़ी से बचा जाए। टाल मटोल करने से सदैव बचा जाए ताकि परीक्षा ढंग से दे सफल हो सकें ! चिंता को स्वयं से दूर रख सकें !! जीवन में आगे बढ़ सकें !! ०८/०५/२०२५.