आजकल लोग अपने पास नगदी नहीं रखते। वे अदायगी आन लाइन करते हैं। क्या इससे जेबकतरों का धंधा मंदा नहीं पड़ गया होगा ? जेब खाली तो कहां से बजेगी ताली ? इस बाबत एक पिता ने अपनी पुत्री से प्रश्न किया। तत्काल उत्तर मिला , " अरे पापा! अब चोर भी हाइटेक हो गए हैं। वे चोरी के नए नए ढंग खोजते हैं। अब साइबर ठगी का जमाना है। अतः सब को संभल कर रहना है।" यह सब सुनकर पिता दंग रह गया। वह सोचता रह गया कि जमाना अब देखते ही देखते बहुत आगे तक बह गया है। दक़ियानूसी का मारा आदमी भी अब यकायक अचम्भित, ठगा हुआ सा रह गया है। आज का आदमी समय की धारा में तीव्र गति से आगे बढ़ने को उद्यत है। समय की दौड़ में पीछे रह गया मानुष अत्यंत व्यग्र है ! वह अत्याधिक उग्र है !! ०२/०५/२०२५.