लोग कहते हैं- "क़िस्मत में जो लिखा होता है वही होता है" तू जता तो सही,मैं वो लिखे पन्ने फाड़ दूँ, वास्ते मैं तेरे, आसमान के सारे बादल झाड़ दूँ। जो तू माँगे फूल, मैं पूरी बगिया झटक दूँ, रख क़दमों में ये जहाँ भी पटक दूँ।
लोग कहते हैं- "तोड़ लाऊँगा चाँद, रख दूँ तेरे हाथों में" कुछ तो छुपा है इन ही ख्वाबी बातों में। तू रौशनी भरदे मेरी रातों में, तू साथ तो आराम इन काँटों में, इस चाँद में न तुझसा नूर है, क्या ये भी तुझसा ही कहीं दूर है ?
और ये ?- तेरी चुप्पी को भी शब्द ज़रिये लिख लूँ, जैसे तू कहे तो दो दरिये जोड़ना सीख लूँ। अभी जो है ख्वाब उसे हक़ीक़त में गुंदना है, जो तू न हो तो मुझे ये आँखें ना.. मूंदना है। फुर्सत में जोडूंगा वो पन्ने जो मैने फाड़े हैं, और लिखूं नया एक किताब... जिसमें सिर्फ़ "हमारा" नाम है।
तू कह तो सही क़लम उठा लूं?
जो लिखा नहीं, वो अफ़साने भी सच होते हैं। मैं लिख दूँ नया एक दास्ताँ तेरे नाम का, जो हुं सिर्फ़ तेरा, कि हो सिर्फ़ मेरा..... कुछ और लिखूँ आ रही थोड़ी शरम, या है कोई मन का एक मात्र भरम.......