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Apr 30
जो मुस्कान है लबों पे तेरे,
वो राज के पन्नों को खोले मेरे।
पर मुस्कान वो, जो कह जाए,
फिर भी कुछ भी ना सुनाए।

वो मुस्कान, जो शाम सी लगे,
दिल के दुखों को आराम सी लगे।
जो आई थी एक ख्वाब के हाथ,
और छोड़ गई एक याद के साथ।

वो मुस्कान, जो एक ज़ख्म भी हो,
और उसी ज़ख्म का मरहम भी हो।

वो मरहम है, जो दर्द मिटा दे,
या एक और घाव, जो दिल को रुला दे?

वो मुस्कान अब धूल हो गई,
भुला हमने, हाँ भूल हो गई।
उस मुस्कान की फरियाद,
हमेशा रहेगी याद...!
SURYAMVIVEK
Written by
SURYAMVIVEK  17/M/Ghaghra,Gumla JH INDIA
(17/M/Ghaghra,Gumla JH INDIA)   
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