अचानक यदि कोई किसी को रंगे हाथ गड़बड़ी करते हुए पकड़ ले , तो यह अहसास आदमी के भीतर उत्पन्न कर देता है सकपकाहट। आदमी को झिझक होने लगती है , वह ठीक से काम करता है , और जल्दी से लापरवाही भी नहीं करता। वह समय रहते है संभल जाता। उसका जीवन हैं बदल जाता। सकपकाना भी जीवन का हिस्सा है , यह सच में आदमी को सतर्क करता है , ताकि वह हड़बड़ी करने से खुद को रोक पाए , बिना किसी रुकावट मंजिल तक पहुंच पाए। १७/०४/२०२५.