Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 17
अचानक
यदि कोई किसी को
रंगे हाथ
गड़बड़ी करते हुए
पकड़ ले ,
तो यह अहसास
आदमी के भीतर
उत्पन्न कर देता है
सकपकाहट।
आदमी को
झिझक होने लगती है ,
वह ठीक से
काम करता है ,
और जल्दी से
लापरवाही भी
नहीं करता।
वह समय रहते
है संभल जाता।
उसका जीवन
हैं बदल जाता।
सकपकाना भी
जीवन का हिस्सा है ,
यह सच में
आदमी को
सतर्क करता है ,
ताकि
वह
हड़बड़ी करने से
खुद को
रोक पाए ,
बिना किसी रुकावट
मंजिल तक
पहुंच पाए।
१७/०४/२०२५.
Written by
Joginder Singh
  127
 
Please log in to view and add comments on poems