Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 4
कलयुग है ,
आजकल भाई
आपस में
छोटी छोटी बातों पर
लड़ पड़ते हैं ,
वे मरने मारने पर
उतारू हो जाते हैं !
काला उर्फ़ सुरिंदर ने
दो दिन पहले
बातों बातों में कहा था कि
जो भाई शादी से पहले
एक दूसरे की रक्षा में
गैरो से लड़ने को रहते हैं तैयार !
वही भाई समय आने पर
एक दूसरे को मारने पर
हो जाते हैं आमादा,
एक दूसरे के पर्दे उतार
शर्मसार कर देते हैं।
अब रामायण काल नहीं रहा !
लक्ष्मण सा भाई विरला ही मिलता है।
बल्कि भाई भाई का ख़ून कर
बन जाया करता है क़ातिल।

अभी यह सब सुने महज दो दिन हुए हैं कि
इसे प्रत्यक्ष घटित होते
अख़बार के माध्यम से जान भी लिया।
अख़बार में एक खबर सुर्खी बन छपी है ,
" ढाबे पर ट्रक चालक ने शराब के नशे में
बड़े भाई को पीट पीटकर मार डाला..."

सनातन में "रामायण " में
आदर्श भाइयों के बारे में
उनके परस्पर प्रेम और सौहार्दपूर्ण
जीवन बाबत दर्शाया गया है।
वहीं "महाभारत" में
कौरवों और पांडवों के बीच
भाइयों भाइयों में होने वाले
विवाद और संवाद की बाबत
विस्तार से कथा के रूप में
बताया गया है,
आदमी की समझ को
बढ़ाने की खातिर
एक मंच सजाया गया है।

मैं इस बाबत सोचता हूँ
तो आता है ख्याल।
आज कथनी और करनी के अंतर ने ,
रिश्तों में स्वार्थ के हावी होने ने
भाई को भाई का वैरी बना दिया है।
स्वार्थ के रिश्तों ने
रामायण के आदर्श भाइयों को
महाभारत करने के लिए उकसाया है।
पता नहीं कहाँ भाई भाई का प्यार जा छुपाया है ?
आदर्श परिवार को भटकाव के रास्ते पर दिया है छोड़ !
पता नहीं कब तक भाई
अपने रिश्ते को एक जुट रख पाएंगे !
या फिर वे भेड़चाल का शिकार होकर
आपस में लड़ कर समाप्त हो जाएंगे !!
आज भाईचारा बचाना बेहद ज़रूरी है ,
ताकि समाज बचा रहे !
देश स्वाभिमान से आगे बढ़ सके !!
०४/०३/२०२५.
Written by
Joginder Singh
  124
 
Please log in to view and add comments on poems